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लेखनी प्रतियोगिता -12-Jan-2023

कहीं दूर चलें

जहाँ अमन हो, चैन हो, फिजाओं में
जहाँ धड़कता हो दिल मानवता की बाहो में,
जहाँ प्रेम ही प्रेम बसता हो हर निगाहों में,
चलो हम तुम कहीं दूर चले ऐसी राहों में।

जिंदगी बसर हम करेंगें प्रेम से,
नफरतों की आंधियों को हरेगें प्रेम से,
हर हिय में अमन-चैन का इक पुष्प खिलेगा,
धरा होगी खुश,अंबर को सुकून मिलेगा।

किसने देखा है कल, कौन कहे कल है उज्जवल?
अपने आज को ,तुम संवार लो कल खुद होगा प्रज्वल,
आओ आज इक संकल्प करो,
जग में फैला है जो तिमिर तुम हरो।

मिल जाएगा भटकती लहरों को साहिल,
प्रेम के बादल कत्ल कर नफ़रतों का बनेगें कातिल,
ऐसी स्वर्गीय अनुभूति को बसाने मन में,
हम तुम कहीं दूर चलें प्रेम की राहों में।

श्वेता दूहन देशवाल मुरादाबाद उत्तर प्रदेश

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5 Comments

madhura

13-Jan-2023 03:11 PM

nice

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sunanda

13-Jan-2023 02:16 PM

nice

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Swati chourasia

13-Jan-2023 06:32 AM

बहुत ही सुंदर रचना 👌👌

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